"विनती करूं हूँ मै बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार."

विनती करुँ हूँ मै बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार.
मेरी नैया पुराणी है, माँ दादीसती, पार ठाणे ही लगानी है माँ दादीसती,
विनती करुँ हूँ मई बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार.

छायो घणो अंधेरो, और सूझे नही है किनारों,
आखरी भरोसो म्हाने दादीजी थारो सहरो.
थारे बिना, कुण मेरी, पीड़ा ने पिछाणी है,
पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती.

कष्ट में घिरूं जद, मैं तो थारी शरण में ही आऊँ,
प्रेम से मैं सुमिरूँ, नाम थारो सदा ही मैं गाऊँ,
लाज मेरी आज ए माँ थाने ही निभाणी है, माँ दादीसती.
पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती.

देर से मैं तरसूँ, मंने आ कर गले से लगाओ,
सिंह पर विराजो, दादी आओ थे बेगा सा आओ,
मनडे री बताडली, थाने ही बतानी है, माँ दादीसती.
पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती.

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