तुझे सब है पता मेरी माँ.......
हाँ, माँ को सब पता होता है जो हम बताते हैं वो भी और जो नहीं बताते वो भी। जैसे भगवान से कुछ नहीं छुपता वैसे ही माँ से कुछ नहीं छुपता। मैंने और शायद आपने भी इस सच्चातई को कई बार महसूस किया होगा। माँ से छुपना आसान है लेकिन उससे छुपाना बेहद मुश्किल है। जन्मस लेने के बाद खुद को जानने में हमारी जिंदगी निकल जाती है लेकिन माँ तो हमें तब से जानती है जब हम अजन्मेम होते हैं। हमारे सुख दुख की जितनी साक्षी हमारी माँ होती है उतना शायद ही कोई ओर हो, भले ही फिर माँ सामने हो या ना हो। माँ सिर्फ एक रिश्ताम नहीं होता वो एक संस्काहर है, एक भावना है, एक संवेदना है। संस्काहर इसलिए क्यों कि वो आपके लिए सिर्फ और सिर्फ अच्छाह सोचती है, भावना इसलिए क्योंाकि वो आपके साथ दिल से जुड़ी होती है और संवेदना इसलिए क्योंसकि वो आपको हमेशा प्रेम ही देती है। हम अपने जीवन की हर पहली चीज में अपनी माँ को ही पाते हैं। इस दुनिया से हमें जोड़ने वाली माँ ही होती है और माँ के साथ ही हमारे हर नए रिश्तेह की शुरुआत होती है। माँ के साथ जुड़ा हर रिश्ता हमारा हो जाता है। माँ हमें जन्मे के बाद से सिर्फ देती ही है कभ...