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Showing posts from February, 2011

तुझे सब है पता मेरी माँ.......

हाँ, माँ को सब पता होता है जो हम बताते हैं वो भी और जो नहीं बताते वो भी। जैसे भगवान से कुछ नहीं छुपता वैसे ही माँ से कुछ नहीं छुपता। मैंने और शायद आपने भी इस सच्चातई को कई बार महसूस कि‍या होगा। माँ से छुपना आसान है लेकि‍न उससे छुपाना बेहद मुश्कि‍ल है। जन्मस लेने के बाद खुद को जानने में हमारी जिंदगी नि‍कल जाती है लेकि‍न माँ तो हमें तब से जानती है जब हम अजन्मेम होते हैं। हमारे सुख दुख की जि‍तनी साक्षी हमारी माँ होती है उतना शायद ही कोई ओर हो, भले ही फि‍र माँ सामने हो या ना हो। माँ सि‍र्फ एक रिश्ताम नहीं होता वो एक संस्काहर है, एक भावना है, एक संवेदना है। संस्काहर इसलि‍ए क्यों कि‍ वो आपके लि‍ए सि‍र्फ और सि‍र्फ अच्छाह सोचती है, भावना इसलि‍ए क्योंाकि‍ वो आपके साथ दि‍ल से जुड़ी होती है और संवेदना इसलि‍ए क्योंसकि‍ वो आपको हमेशा प्रेम ही देती है। हम अपने जीवन की हर पहली चीज में अपनी माँ को ही पाते हैं। इस दुनि‍या से हमें जोड़ने वाली माँ ही होती है और माँ के साथ ही हमारे हर नए रि‍श्तेह की शुरुआत होती है। माँ के साथ जुड़ा हर रि‍श्ता हमारा हो जाता है। माँ हमें जन्मे के बाद से सि‍र्फ देती ही है कभ...

तुझे सब है पता मेरी माँ.......

हाँ, माँ को सब पता होता है जो हम बताते हैं वो भी और जो नहीं बताते वो भी। जैसे भगवान से कुछ नहीं छुपता वैसे ही माँ से कुछ नहीं छुपता। मैंने और शायद आपने भी इस सच्चातई को कई बार महसूस कि‍या होगा। माँ से छुपना आसान है लेकि‍न उससे छुपाना बेहद मुश्कि‍ल है। जन्मस लेने के बाद खुद को जानने में हमारी जिंदगी नि‍कल जाती है लेकि‍न माँ तो हमें तब से जानती है जब हम अजन्मेम होते हैं। हमारे सुख दुख की जि‍तनी साक्षी हमारी माँ होती है उतना शायद ही कोई ओर हो, भले ही फि‍र माँ सामने हो या ना हो। माँ सि‍र्फ एक रिश्ताम नहीं होता वो एक संस्काहर है, एक भावना है, एक संवेदना है। संस्काहर इसलि‍ए क्यों कि‍ वो आपके लि‍ए सि‍र्फ और सि‍र्फ अच्छाह सोचती है, भावना इसलि‍ए क्योंाकि‍ वो आपके साथ दि‍ल से जुड़ी होती है और संवेदना इसलि‍ए क्योंसकि‍ वो आपको हमेशा प्रेम ही देती है। हम अपने जीवन की हर पहली चीज में अपनी माँ को ही पाते हैं। इस दुनि‍या से हमें जोड़ने वाली माँ ही होती है और माँ के साथ ही हमारे हर नए रि‍श्तेह की शुरुआत होती है। माँ के साथ जुड़ा हर रि‍श्ता हमारा हो जाता है। माँ हमें जन्मे के बाद से सि‍र्फ देती ह...

-: श्री दादी सती को मंदर :-

श्री दादी सती को मंदर सुजानगढ़ क कन भोजलाई गॉंव क माँयने बण्योडो है । दादी की किरपा स सगली बीमारियाँ टाबरां क नीड़ इ कोनी आव। जो दादी क धोक लगाव , सो सगला सुख पा ज्याव। दादी सती की जय हो।

दादीजी के प्रचार में आगे आये...!! जय दादी की !!

दादी जी त्याग, तपस्या व स्नेह की साक्षातमूर्ति थे। दादीजी का जीवन मानव मात्र के लिए प्रेरणादायी था। दादीजी के व्यक्तित्व से स्पष्ट होता था कि हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही पाएंगे। इसीलिए दादीजी का हमारे लिए यही संदेश था कि छोटे-बड़े सभी को सम्मान, प्रेम देते हुए चलें।

"Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa"

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Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Hey Kuldevi mhaare kul ki (2) laaj bachati rahije Maa Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Mayya mhe Thara beta pota, Thara hi gun gaavanga (2) Mayya mharo vansh chalave, jaat lagavan aavanga Mhe haan Thara taabar Thare(2)darr pe bulati rahije Maa Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Sukh me dukh me aadi aaje, rakhsha kije bhaktan ki (2) Sar par Tharo haath rakhiye, jholi bharke bhaktan ki Thare alava koi na mharo (2) kaam banati rahije Maa Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Badde bhaag se seva milgi, mhane sab kuch milgyo Maa (2) Janam janam ki di hai chakri, mharo janam sudhargyo Maa Mhare taain seva ho toh (2) kaam batati rahije Maa Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Hey Kuldevi mhaare kul ki (2) laaj bachati rahije Maa Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2) Yo Thaaro Parivaar hai hardam aati jati rahije Maa (2)

"Aasro Dadi Tharo Hai"

Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Thare bharose baithyo Mayya, koi na mharo hai... Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Nayya meri bhatak gayi hai, thodi thodi chatak gayi hai, Majhdaara me atak gai hai, majhdaara me atak gai hai... Daram dad Bhavani ib toh (2), Tha pe saaro hai Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Haath pakad le, doob na jaun, ro ro Thane aaj bulau... Apne mann ki peed sunau, Apne mann ki peed sunau, The na suno toh doob hi jyaasyu (2), Koi na charo hai Aasro Mayya Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Harsh Bhavani laaj bachale, charna maahin aaj bithale Tabariye ne gale lagale, Tabariye ne gale lagale, Jag Sethani haath thamle (2), Tero saharo hai Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Thare bharose baithyon Mayya, koi na mharo hai Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai... Aasro Dadi Tharo Hai, Aasro Dadi Tharo Hai...

"Dadi Thara tabariya thane yaad kare"

Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Thare se…Ae Mayya (2) Fariyaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Bhola baala jaanke Dadi mat dijo bisraye Taabar apno jaanke Dadi lijo hivde lagaay (2) Bhagtan se hey Mayya, kaiyan rusya sarrey Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Naa mhe jaana Aarti karni, na puja ki reet The ho mhara, mhe haan Thaara, Maa-beta ki preet (2) Kaiyan Maa, The rahoga (2) Beta se pare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Vinti mhari sun lijo, o Mhari Mayya Bhavsaagar se paar laga dijo, Mhari nayya Taarachand ae Mayya (2) Tharo dhyan dhare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Thare se…Ae Mayya (2) Fariyaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare Dadi Thara tabariya thane yaad kare O Mayya Thara tabarya thane yaad kare D...

म्हारी मैया भोजलाईवाली, थारी जग में शान निराली !!!

म्हारी मैया भोजलाईवाली, थारी जग में शान निराली, म्हारी करियो थे रखवाली, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. दादी म्हारे घरां पधारो, तरसे कद सु मनडो म्हारो, - २ म्हाने एक आसरो थारो, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. कद सू थारी बाट निहारां, म्हारी कुटिया ने बुहारॉ, थाने कद सू खड्या पुकारां, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. म्हारी मैया भोजलाईवाली, थारी जग में शान निराली, म्हारी करियो थे रखवाली, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. गंगाजल से स्नान करावां, मन् के आसन पे बैठावाँ, रोली मोली थाल सजावाँ, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. थे तो ओढो चूनड भारी, हाथां मेहंदी राचे न्यारी, म्हे तो करस्यां पूजा थारी, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. म्हारी मैया भोजलाईवाली, थारी जग में शान निराली, म्हारी करियो थे रखवाली, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. थारो रूप अनोखो सोहे, दादी भक्तां रो मन् मोहे, जो भी देखे सुध बुध खोवे, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. करके सिंह सवारी आओ, म्हाने दुर्गा रूप दिखाओ, आ कर रूचि रूचि भोग लगाओ, म्हारा दादीजी, म्हारा दादीजी. म्हारी मैया भोजलाईवाली, थारी जग में शान निराली, म्हारी करियो थे रखवाली, म्हारा दाद...

"विनती करूं हूँ मै बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार."

विनती करुँ हूँ मै बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार. मेरी नैया पुराणी है, माँ दादीसती, पार ठाणे ही लगानी है माँ दादीसती, विनती करुँ हूँ मई बार बार, दादीजी सुन लो मेरी पुकार. छायो घणो अंधेरो, और सूझे नही है किनारों, आखरी भरोसो म्हाने दादीजी थारो सहरो. थारे बिना, कुण मेरी, पीड़ा ने पिछाणी है, पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती. कष्ट में घिरूं जद, मैं तो थारी शरण में ही आऊँ, प्रेम से मैं सुमिरूँ, नाम थारो सदा ही मैं गाऊँ, लाज मेरी आज ए माँ थाने ही निभाणी है, माँ दादीसती. पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती. देर से मैं तरसूँ, मंने आ कर गले से लगाओ, सिंह पर विराजो, दादी आओ थे बेगा सा आओ, मनडे री बताडली, थाने ही बतानी है, माँ दादीसती. पार थाने ही लगानी है माँ दादीसती.

" दादी सती का जिस के सर पे हाथ"

दादी सती का जिस के सर पे हाथ है, धन्य हुआ वो, उसकी तो क्या बात है. क्या बात है, क्या बात है, क्या बात है दादी की. दादी सती का जिस के सर पे हाथ है, धन्य हुआ वो, उसकी तो क्या बात है. दादी नाम की नाव पे जो भी हुआ सवार है, जिसे भरोसा दादी का, उसका बेडा पार है. उसे डुबोये किसकी यह औकात है, धन्य हुआ वो, उसकी तो क्या बात है. दादी सती के नाम का जो दीवाना हो गया, साथ है उसके जगदम्बा, संग ज़माना हो गया. दूल्हे के संग जैसे चले बरात है. धन्य हुआ वो, उसकी तो क्या बात है. माँ की शरण में जो गया, कृपा मैया की पा रहा, तू भी आजा द्वार पे, सेवक क्यों सकुचा रहा. माँ की कृपा से बढ़ कर क्या सौगात है. धन्य हुआ वो, उसकी तो क्या बात है.

दादीजी के प्रचार में आगे आये...!! जय दादी की !!

दादी जी त्याग, तपस्या व स्नेह की साक्षातमूर्ति थे। दादीजी का जीवन मानव मात्र के लिए प्रेरणादायी था। दादीजी के व्यक्तित्व से स्पष्ट होता था कि हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही पाएंगे। इसीलिए दादीजी का हमारे लिए यही संदेश था कि छोटे-बड़े सभी को सम्मान, प्रेम देते हुए चलें।

Bohara Samaj Bhojlai ki Mahasati Dadiji

Shri Dadiji Maharaj Bhojlai ke Bohara Pariwar ki Veerangana thi. Mahasakti Dadiji ne daku / lutero se na sirf Bohara samaj ki apitu pure Bhojlai village ki raksha ki. Jai Ho Dadiji ki.

BHOJLAI DADIJI MAHARAJ KI JAI

Bohara samaj ki Adhisratri Devi Mhasati Dadiji Maharaj ki jai. Dadiji Maharaj ke charno mein koti-koti naman....! Jai ho Dadiji ki!